खुद का ध्यान करो
तुम ही पापी हो, तुम ही हो संत
तुम ही राजा, तुम ही हो रंक
तुम हो महिमा की परिभाषा
तुम ही आदि हो, तुम ही हो अंत
तुम ही तो सब के हो भर्ता
कभी खुद का भी कल्याण करो
हे मानव सब कुछ छोड़ो तुम
आओ और खुद का ध्यान करो
ना करो ज्ञान की चर्चा तुम
ना ही वेदों की बात करो
ना करो परम की खोज कभी
तुम खुद के ही अब पैर पड़ो
है आत्मबोध मदिरा जैसी
इस मदिरा का तुम पान करो
हे मानव सब कुछ छोड़ो तुम
आओ और खुद का ध्यान करो
तुम ही हो बुद्ध, तुम ही हो कृष्ण
हो राम तुम ही, तुम महावीर
तुम ही अर्जुन, तुम ही हो लक्ष्य
और तुम ही हो अर्जुन के तीर
तुम ही तो वो परमातम् हो
तुम खुद का ही गुणगान करो
हे मानव सब कुछ छोड़ो तुम
आओ और खुद का ध्यान करो
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