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हर दिन मै रातों को सपनों में खोता हूं, मिलने वो आती है, जब भी मै सोता हूं। दिखती है वो, या उसकी परछाई दिखती है? आती एक पल को, दो पल ना टिकती है। कहती ना कुछ है, ना कुछ मै सुनता हूं। पागल मै सपनों में भी सपनें बुनता हूं। क्यों उठ मै जाता हूं? क्यों और नहीं सोता? क्यों आंखें खुलती है, और वो पास नहीं होता?

Sochun Mai Tujhko

Aankhon ki chahat hai Dekhu mai tujhko Baaton ki chahat hai  Bolun mai tujhko Saanso ne chaha Tujhe bharna har dam me Aur khwabon ki chahat hai  Sochun mai tujhko Sochun mai tujhko  Aur sochun mai tujhko  Jaaye kahi jab bhi tu Rokun mai tujhko Fir bhi na ruk paye To sochun mai tujhko Khwaabo me baatein fir Bolun mai tujhko  Mai bhi hu is pal me Khwaabo me teri Aur sunta dohrata Teri baatein sunehri Tu bhi sun lena kabhi Baaton ko meri  Bolu mai kuch ya Fir dhadkan ye meri  Dhadkan ye meri Bas tujhko bulate  Tu jab na rehti tab Ye mujhko rulate  Rolun mai thoda  Fir sochun mai tujhko Saansein fir se lu  Fir sochun mai tujhko
ज़ुबान पे कुछ मीठा सा स्वाद आ रहा है एक बार फिर से वो मुझे याद आ रहा है ।  खयाल जो आए, बस मुसकुराता हूँ  दर्द कुछ हो अगर, सब भूल जाता हूँ  सुकून मिलता है केवल सोच लेने से  बस याद कर के खुशी से फूल जाता हूँ ।  आता है मौसम जब दूसरा वो दिखने मे थोड़ा बदल जाता है गर्मी मे सिल्क के कपड़े पहनता है और ठंडी मे कपड़ों से भर जाता है ।  पर चेहरा रहता है वही  वही सुंदर सा मुस्कान रहता है  आँखों में चमक हर दिन बढ़ती है  हर दिन वो मेरे साथ रहता है ।  साथ ये असली हो, या कोई सपना हो मेरा  क्या फ़र्क पड़ता है? साथ में वो है, मान लूँ इतना, फिर वो मेरे साथ रहता है । 

खुद का ध्यान करो

 तुम ही पापी हो, तुम ही हो संत तुम ही राजा, तुम ही हो रंक  तुम हो महिमा की परिभाषा तुम ही आदि हो, तुम ही हो अंत  तुम ही तो सब के हो भर्ता  कभी खुद का भी कल्याण करो  हे मानव सब कुछ छोड़ो तुम  आओ और खुद का ध्यान करो  ना करो ज्ञान की चर्चा तुम  ना ही वेदों की बात करो  ना करो परम की खोज कभी  तुम खुद के ही अब पैर पड़ो  है आत्मबोध मदिरा जैसी  इस मदिरा का तुम पान करो  हे मानव सब कुछ छोड़ो तुम  आओ और खुद का ध्यान करो  तुम ही हो बुद्ध, तुम ही हो कृष्ण  हो राम तुम ही, तुम महावीर  तुम ही अर्जुन, तुम ही हो लक्ष्य  और तुम ही हो अर्जुन के तीर  तुम ही तो वो परमातम् हो  तुम खुद का ही गुणगान करो  हे मानव सब कुछ छोड़ो तुम  आओ और खुद का ध्यान करो